गोपालगंज जिले में BPSC के तहत नियुक्त नौ शिक्षिकाओं की नौकरी पर संकट: CTET अंकों पर विवाद

Hello Bihar

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गोपालगंज जिले में BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) के तहत नियुक्त नौ शिक्षिकाओं की नौकरी पर संकट गहरा गया है। इन शिक्षिकाओं की नियुक्ति में एक बड़ा विवाद सामने आया है।

दरअसल, ये शिक्षिकाएं बिहार से बाहर की निवासी हैं और इनके केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) में प्राप्त अंक 60 प्रतिशत से कम पाए गए हैं, जो कि नियमों के तहत आवश्यक मापदंडों को पूरा नहीं करते।

क्या है पूरा मामला?

बीपीएससी के तहत शिक्षिकाओं की नियुक्ति के लिए एक निश्चित मापदंड निर्धारित किया गया है। इसके अनुसार, जो भी अभ्यर्थी शिक्षक पद के लिए आवेदन करते हैं, उन्हें CTET परीक्षा में कम से कम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है।

लेकिन इन नौ शिक्षिकाओं के मामले में यह शर्त पूरी नहीं की गई। बिहार से बाहर की ये शिक्षिकाएं इस समय गोपालगंज जिले में नियुक्त हैं, लेकिन इनके CTET अंकों में अनियमितता सामने आई है। इस वजह से इनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।

क्यों आवश्यक है CTET में 60% अंक?

केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) देशभर में शिक्षक भर्ती के लिए एक मानक परीक्षा है। इसके माध्यम से योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इस परीक्षा में न्यूनतम 60% अंकों की शर्त रखी गई है।

यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक ही स्कूलों में पढ़ाएं, जिससे बच्चों की शिक्षा का स्तर ऊंचा हो सके।

क्या होगा इन शिक्षिकाओं का भविष्य?

इन शिक्षिकाओं की नौकरी पर मंडराते संकट को देखते हुए बीपीएससी और संबंधित अधिकारियों के समक्ष कई सवाल खड़े हो गए हैं।

अब यह देखना होगा कि बिहार सरकार और बीपीएससी इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या इन शिक्षिकाओं को उनकी नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा या फिर उन्हें कोई और अवसर प्रदान किया जाएगा?

कानूनी दृष्टिकोण

इस मामले का कानूनी पक्ष भी काफी महत्वपूर्ण है। यदि इन शिक्षिकाओं की नियुक्ति नियमों के विपरीत हुई है, तो यह एक कानूनी मुद्दा बन सकता है। इससे न केवल इन शिक्षिकाओं की नौकरी पर खतरा होगा, बल्कि संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

गोपालगंज के शिक्षा क्षेत्र पर प्रभाव

यह मामला गोपालगंज जिले के शिक्षा क्षेत्र पर भी एक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यदि नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो यह भविष्य में होने वाली शिक्षक नियुक्तियों के लिए एक गलत उदाहरण पेश कर सकता है। इससे जिले में शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ सकते हैं।

निष्कर्ष

गोपालगंज जिले में बीपीएससी के तहत नियुक्त नौ शिक्षिकाओं की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है। यह मामला न केवल इन शिक्षिकाओं के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, बल्कि बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और इसका समाधान कैसे होता है।


FAQs:-

BPSC के तहत शिक्षक बनने के लिए CTET में न्यूनतम कितने प्रतिशत अंक आवश्यक होते हैं?
बीपीएससी के तहत शिक्षक बनने के लिए अभ्यर्थियों को CTET परीक्षा में कम से कम 60% अंक प्राप्त करना आवश्यक होता है।

क्या CTET अंकों में अनियमितता के कारण इन शिक्षिकाओं की नौकरी खतरे में है?
हां, CTET अंकों में अनियमितता के कारण इन शिक्षिकाओं की नौकरी खतरे में है क्योंकि उनके अंक निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं।

क्या बीपीएससी इस मामले में कोई विशेष राहत दे सकता है?
यह बीपीएससी और बिहार सरकार पर निर्भर करता है। यदि नियमों में कोई लचीलापन है, तो वे इस पर विचार कर सकते हैं, लेकिन यह कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर निर्भर करेगा।

इस मामले का शिक्षा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह मामला शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करता है। यदि इस तरह की अनियमितताओं को नजरअंदाज किया जाता है, तो यह शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

क्या इन शिक्षिकाओं की नियुक्ति रद्द हो सकती है?
यदि यह साबित होता है कि इन शिक्षिकाओं की नियुक्ति नियमों के खिलाफ हुई है, तो उनकी नियुक्ति रद्द की जा सकती है। यह संबंधित अधिकारियों के निर्णय पर निर्भर करेगा।

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