Prashant Kishor: जीतेंगे तो एक घंटे में ही खत्म होगी बिहार में शराबबंदी…

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बिहार में शराबबंदी का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार इसके केंद्र में हैं प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर। उन्होंने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो “बिहार में शराबबंदी को एक घंटे के भीतर ही खत्म कर देंगे”

इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आइए विस्तार से जानते हैं कि प्रशांत किशोर ने यह बयान क्यों दिया और इसके पीछे की राजनीति क्या है।

बिहार में शराबबंदी का इतिहास

बिहार में शराबबंदी की शुरुआत अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को शराब से होने वाली हिंसा और सामाजिक समस्याओं से बचाना था।

हालांकि, शराबबंदी लागू होने के बाद भी अवैध शराब का व्यापार और उसकी खपत बंद नहीं हुई। इसके अलावा, राज्य के राजस्व पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

प्रशांत किशोर का बयान

प्रशांत किशोर, जो खुद बिहार के हैं और राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम माने जाते हैं, ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि अगर वह सत्ता में आते हैं, तो वह एक घंटे में ही शराबबंदी खत्म कर देंगे।

उनका मानना है कि शराबबंदी ने राज्य में केवल भ्रष्टाचार और अवैध व्यापार को बढ़ावा दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर ईमानदारी से विचार करना चाहिए और वास्तविकता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।

शराबबंदी खत्म करने के पक्ष में तर्क

  1. अवैध शराब व्यापार का बढ़ना: शराबबंदी के बाद बिहार में अवैध शराब व्यापार में तेजी आई है। इसने न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती दी है बल्कि राज्य के राजस्व को भी नुकसान पहुँचाया है।
  2. कानून का दुरुपयोग: शराबबंदी कानून का कई बार दुरुपयोग भी हुआ है। कई लोगों को झूठे मामलों में फंसाया गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवाल उठते हैं।
  3. राजस्व घाटा: शराबबंदी के कारण बिहार को हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस धनराशि का उपयोग राज्य के विकास कार्यों में किया जा सकता था।

प्रशांत किशोर की रणनीति

प्रशांत किशोर हमेशा अपनी रणनीति और राजनीतिक सूझ-बूझ के लिए जाने जाते हैं। उनका यह बयान भी राज्य की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। वह जानते हैं कि शराबबंदी एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर जनता के बीच मतभेद हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। कुछ दलों ने इसे जनभावनाओं के साथ खेलना बताया है, जबकि कुछ ने इस पर गंभीरता से विचार करने की मांग की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने प्रशांत किशोर के बयान की आलोचना की है, और इसे राजनीतिक चाल बताया है।

FAQs:-

प्रशांत किशोर कौन हैं?

प्रशांत किशोर एक प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार हैं, जिन्होंने कई चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए रणनीतियां बनाई हैं। वह बिहार के निवासी हैं और राज्य की राजनीति में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

बिहार में शराबबंदी कब और क्यों लागू की गई थी?

बिहार में शराबबंदी अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लागू की गई थी। इसका उद्देश्य महिलाओं को शराब से होने वाली सामाजिक समस्याओं से बचाना था।

प्रशांत किशोर शराबबंदी खत्म करने की बात क्यों कर रहे हैं?

प्रशांत किशोर का मानना है कि शराबबंदी ने राज्य में केवल भ्रष्टाचार और अवैध व्यापार को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, इसने राज्य के राजस्व को भी नुकसान पहुँचाया है।

क्या शराबबंदी खत्म करने से बिहार को लाभ होगा?

यह एक विवादास्पद मुद्दा है। कुछ लोग मानते हैं कि शराबबंदी खत्म करने से राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी और अवैध व्यापार पर भी रोक लगेगी। वहीं, कुछ लोग इसे सामाजिक समस्याओं को बढ़ाने वाला कदम मानते हैं।

विपक्षी दलों ने प्रशांत किशोर के बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी है?

विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही है। कुछ दलों ने इसे जनभावनाओं के साथ खेलना बताया है, जबकि कुछ ने इस पर गंभीरता से विचार करने की मांग की है।

शराबबंदी का वर्तमान स्थिति क्या है?

बिहार में अभी भी शराबबंदी लागू है, लेकिन अवैध शराब व्यापार एक बड़ी समस्या बनी हुई है। कई लोग शराबबंदी कानून के दुरुपयोग का भी आरोप लगाते हैं।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर का यह बयान कि “जीतेंगे तो एक घंटे में ही खत्म होगी बिहार में शराबबंदी” एक बड़ा राजनीतिक बयान है। इसने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। शराबबंदी का मुद्दा सामाजिक, आर्थिक और कानूनी दृष्टिकोण से बेहद जटिल है।

इसे खत्म करने या जारी रखने का निर्णय लेना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे राज्य की सरकार को सूझबूझ और जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लेना होगा।

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